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लालच का फल – एक नैतिक कहानी जो सोचने पर मजबूर कर दे

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✨ परिचय:

इस भागदौड़ भरी दुनिया में हर किसी को जल्दी अमीर बनने की चाह होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लालच इंसान को कहां तक ले जा सकता है? नीचे दी गई यह कहानी न सिर्फ बच्चों को बल्कि बड़ों को भी एक गहरी सीख देती है।
 

📖 कहानी: लालची किसान और सोने की मुर्गी

बहुत समय पहले एक गाँव में रघु नाम का किसान अपनी पत्नी सीता के साथ रहता था। रघु एक मेहनती इंसान था, लेकिन उसमें एक कमजोरी थी – वह कभी संतुष्ट नहीं होता था। वह हमेशा और पाने की चाह में रहता था।

🌟 एक चमत्कार

एक दिन रघु अपने खेत में हल चला रहा था कि उसे ज़मीन में कुछ चमकता हुआ मिला। खुदाई करने पर उसे एक सोने का अंडा मिला। वह आश्चर्यचकित हो गया और वह अंडा घर ले आया। उसकी पत्नी भी हैरान थी।
अगले दिन फिर वैसा ही हुआ – एक और सोने का अंडा!

अब रघु रोज़ खेत से एक सोने का अंडा लाने लगा। कुछ ही महीनों में वह अमीर हो गया। उसने नया घर बनवाया, महंगे कपड़े खरीदे और एक अच्छा जीवन जीने लगा।

💰 लालच की शुरुआत

लेकिन रघु की खुशियाँ ज़्यादा दिन टिक नहीं सकीं। अब उसके मन में यह विचार आया कि अगर वह रोज़ एक अंडे के बजाय सभी अंडे एक साथ पा जाए, तो वह और जल्दी अमीर बन सकता है।

उसने खुदाई करके देखा तो खेत में एक सुंदर सुनहरी मुर्गी थी। यही वह मुर्गी थी जो सोने के अंडे देती थी। वह मुर्गी को घर ले आया।

⚔️ अंत का आरंभ

रघु ने जल्दबाज़ी में एक दिन मुर्गी को मार दिया यह सोचकर कि उसके पेट में ढेर सारे अंडे होंगे। लेकिन जब मुर्गी का पेट काटा गया तो उसमें कुछ भी नहीं था।

अब न मुर्गी थी, न अंडे। धीरे-धीरे उसका सारा धन भी खत्म हो गया और रघु फिर से गरीब हो गया।

🎯 कहानी से सीख

👉 लालच बुरी बला है।
👉 जो हमें मेहनत और धैर्य से मिल रहा है, उसे संतोष के साथ स्वीकार करना चाहिए।
👉 जल्दबाज़ी और लालच कभी भी सही परिणाम नहीं देते।

✍️ निष्कर्ष:

आज की इस नैतिक कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धैर्य और संतोष ही सच्चा धन है। जीवन में अगर धीरे-धीरे तरक्की हो रही है, तो वह भी बड़ी बात है। याद रखें, ज्यादा पाने की चाह अगर संयम के बिना हो तो वह हमें खाली हाथ कर सकती है।

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