बहुत समय पहले की बात है, एक गरीब लकड़हारा अपने छोटे से गाँव में रहता था। उसका जीवन बहुत साधारण था, और उसका एकमात्र साधन था उसकी पुरानी कुल्हाड़ी। हर दिन वह सूरज निकलते ही जंगल में जाता, पेड़ काटता और लकड़ियाँ बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट भरता।
एक दिन लकड़हारा नदी के पास पेड़ काट रहा था। जैसे ही उसने एक बड़ी लकड़ी काटी, उसका कुल्हाड़ी हाथ से फिसलकर नदी में गिर गया। वह जल्दी से पानी में कूदा लेकिन कुल्हाड़ी बहुत गहरी थी। वह बहुत परेशान और उदास हो गया। “अब मैं क्या करूँगा? यही कुल्हाड़ी मेरा जीवन यापन का एकमात्र साधन थी।” उसने दुखी होकर खुद से कहा।
तभी नदी की सतह पर हल्की रोशनी चमकी और एक सुंदर जलपरी प्रकट हुई। उसने कहा,
“तुम इतने दुखी क्यों हो, प्रिय मानव?”
लकड़हारा ने सारी बात सच्चाई से बता दी। जलपरी ने मुस्कुराते हुए कहा,
“चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।”
जलपरी ने पानी में गोता लगाया और पहले एक सुनहरी कुल्हाड़ी निकाल कर पूछा,
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारा ने इमानदारी से जवाब दिया,
“नहीं, यह मेरी नहीं है।”
फिर उसने चाँदी की कुल्हाड़ी निकाली।
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारा ने फिर से सच्चाई दिखाई और कहा,
“नहीं, यह भी मेरी नहीं है।”
अंत में जलपरी ने उसकी पुरानी लौह की कुल्हाड़ी निकाली।
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारा ने खुशी से कहा,
“हाँ! यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
जलपरी उसकी ईमानदारी देखकर बहुत प्रभावित हुई। उसने लकड़हारे को सिर्फ अपनी कुल्हाड़ी ही नहीं, बल्कि सुनहरी और चाँदी की कुल्हाड़ी भी दे दीं।
“ईमानदारी का फल हमेशा मिलता है,” जलपरी ने कहा और फिर अदृश्य हो गई।
लकड़हारा खुश होकर घर लौटा। उसने सोचा, “ईमानदारी रखने से कभी भी नुकसान नहीं होता, बल्कि अच्छाई हमेशा लौटकर आती है।” उसके गाँव वाले भी उसकी ईमानदारी और मेहनत की तारीफ करने लगे। धीरे-धीरे लकड़हारा अपनी मेहनत और ईमानदारी से बहुत सफल और खुशहाल बन गया।
नैतिक शिक्षा:
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ईमानदारी हमेशा सफलता और सम्मान दिलाती है। 🌟
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कभी भी लालच में आकर झूठ मत बोलो।
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सच्चाई और मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। 🍀
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