परिचय (Introduction)
माँ — यह सिर्फ एक शब्द नहीं, एक भावना है।
माँ वो होती है जो खुद भूखी रहकर अपने बच्चों को खिलाती है,
खुद थककर भी उनके चेहरे की मुस्कान के लिए हर मुश्किल झेलती है।
यह कहानी आपको याद दिलाएगी कि माँ का प्यार निःस्वार्थ होता है, और उसका त्याग अमूल्य।
कहानी: “माँ की चप्पलें”
एक छोटे से कस्बे में अनुज नाम का लड़का रहता था।
उसकी माँ एक स्कूल में सफाई कर्मचारी थी।
हर सुबह वह पाँच बजे उठकर खाना बनाती, अनुज को स्कूल भेजती और खुद अपने काम पर निकल जाती।
अनुज के पिता की मृत्यु हो चुकी थी,
इसलिए पूरी ज़िम्मेदारी उसकी माँ के कंधों पर थी।
कभी-कभी घर में पैसे इतने कम होते कि माँ खुद भूखी रह जाती ताकि बेटे के लिए दूध और रोटी बच सके।
एक दिन स्कूल में वार्षिक समारोह (Annual Function) था।
सभी बच्चों के माता-पिता आए — अच्छे कपड़ों में, महंगे जूतों में।
अनुज की माँ भी आई, लेकिन उसके पैरों में पुरानी टूटी हुई चप्पलें थीं।
अनुज ने उसे देखकर सिर झुका लिया।
वह सोचने लगा,
“काश मेरी माँ भी दूसरों की तरह अमीर होती…”
समय बीत गया…
अनुज ने पढ़ाई में मेहनत की और कॉलेज में स्कॉलरशिप पाकर आगे बढ़ा।
वह शहर चला गया, और कई सालों बाद एक बड़ी कंपनी में नौकरी पा ली।
वह अब एक सफल युवक बन गया था।
एक दिन कंपनी में सम्मान समारोह था।
उसे “Employee of the Year” का अवार्ड मिला।
जब उसने स्टेज पर भाषण देना शुरू किया,
वह रुका, और आँखों में आँसू भर आए।
उसने कहा —
“यह सम्मान मेरी माँ के नाम है,
जिसने अपनी पुरानी चप्पलें पहनकर भी मुझे आगे बढ़ाया।”
फिर वह घर गया, माँ के पैर छुए और बोला —
“माँ, तुम्हारी टूटी चप्पलें ही मेरी सफलता की सीढ़ियाँ थीं।”
माँ मुस्कुराई और बोली —
“बेटा, मैं तो बस चाहती थी तू मुझसे बेहतर जिए। अब मुझे गर्व है।”
कहानी की सीख (Moral of the Story)
🌸 माँ का प्यार दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।
वह त्याग करती है ताकि हम मुस्कुरा सकें।
हम चाहे जितने बड़े हो जाएँ, माँ की ममता का कर्ज़ कभी नहीं चुका सकते।
निष्कर्ष (Conclusion)
माँ का त्याग शब्दों में नहीं मापा जा सकता।
वह हर दर्द अपने भीतर छिपाकर हमारे लिए मुस्कुराती है।
इसलिए हमें हमेशा अपनी माँ की कद्र करनी चाहिए —
क्योंकि माँ के बिना सफलता अधूरी है, और जीवन भी अधूरा।
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