बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह रोज़ सुबह जंगल में जाता, लकड़ियाँ काटता और उन्हें शहर में बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालता था।
अर्जुन मेहनती होने के साथ-साथ बेहद ईमानदार भी था। वह कभी भी किसी का नुकसान नहीं करता और हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलता।
🍃 एक दिन की घटना
एक दिन वह हमेशा की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। जैसे ही वह एक पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने लगा, उसकी पकड़ ढीली हुई और कुल्हाड़ी फिसलकर पास की गहरी नदी में गिर गई।
वह बहुत परेशान हो गया। वह जानता था कि अगर कुल्हाड़ी नहीं मिली, तो वह अगले कुछ दिनों तक अपने परिवार का पेट नहीं भर पाएगा। अर्जुन के पास दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने के पैसे भी नहीं थे।
🙏 सच्ची प्रार्थना
अर्जुन ने नदी किनारे बैठकर ईश्वर से प्रार्थना करना शुरू किया:
"हे प्रभु! मेरी कुल्हाड़ी इस नदी में गिर गई है। मैं बहुत गरीब हूँ, कृपया मेरी सहायता कीजिए।"
✨ चमत्कार
अचानक नदी से एक देवता प्रकट हुए। उन्होंने अर्जुन से पूछा, “बेटा, क्यों रो रहे हो?”
अर्जुन ने पूरी बात साफ़-साफ़ बता दी।
देवता मुस्कराए और बोले, “चिंता मत करो।” उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और बाहर आए तो उनके हाथ में सोने की चमचमाती कुल्हाड़ी थी।
उन्होंने पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
अर्जुन ने तुरंत सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं महाराज, यह मेरी नहीं है।”
देवता दोबारा नदी में गए और इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर लौटे।
“क्या यह तुम्हारी है?” उन्होंने पूछा।
अर्जुन ने फिर से मना कर दिया।
आख़िरकार, देवता ने नदी में एक बार और डुबकी लगाई और इस बार एक पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी बाहर निकाली।
अर्जुन की आँखों में चमक आ गई। “हाँ! यही मेरी कुल्हाड़ी है,” उसने उत्साहित होकर कहा।
🌟 इनाम
देवता अर्जुन की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा,
“तुम जैसे ईमानदार व्यक्ति बहुत कम होते हैं। इसलिए मैं तुम्हें तीनों कुल्हाड़ियाँ — सोने, चाँदी और लोहे की — इनाम में देता हूँ।”
अर्जुन ने विनम्रता से सिर झुकाकर धन्यवाद दिया और प्रसन्नता से अपने घर लौट आया।
🎯 नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
👉 ईमानदारी चाहे जितनी भी कठिन लगे, उसका फल हमेशा मीठा होता है।
👉 सच्चे इरादों और दिल से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।
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