एक गाँव में एक गरीब लड़का राजू रहता था। वह ईमानदार और परिश्रमी था। रोज़ वह जंगल से लकड़ियाँ काटकर शहर में बेचता और उससे अपने परिवार का पेट भरता।
एक दिन जब वह जंगल में लकड़ी काट रहा था, उसकी कुल्हाड़ी हाथ से फिसलकर पास की नदी में गिर गई। राजू परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास और कोई साधन नहीं था। वह बैठकर रोने लगा।
उसी समय नदी के देवता प्रकट हुए। उन्होंने पूछा, "बेटा, तुम क्यों रो रहे हो?"
राजू ने सारी बात ईमानदारी से बता दी।
देवता ने मुस्कराकर नदी में हाथ डाला और सोने की कुल्हाड़ी बाहर निकाली। उन्होंने पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"
राजू ने कहा, "नहीं, यह मेरी नहीं है।"
फिर देवता ने चाँदी की कुल्हाड़ी दिखाई। राजू ने फिर मना कर दिया।
आखिर में देवता ने लोहे की पुरानी कुल्हाड़ी निकाली। राजू खुशी से बोला, "हाँ! यही मेरी कुल्हाड़ी है।"
देवता उसकी ईमानदारी से बहुत खुश हुए। उन्होंने उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ इनाम में दे दीं।
राजू खुशी-खुशी घर लौट आया।
सीख (Moral):
"ईमानदारी का फल हमेशा अच्छा होता है।
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