प्रस्तावना:
हम जीवन में अक्सर उन लोगों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो हमारे लिए सबसे ज़्यादा करते हैं — माता-पिता, शिक्षक, या पुराने दोस्त। यह कहानी एक साधारण से पेड़ और एक लड़के के रिश्ते के माध्यम से हमें यही सीख देती है कि “जो हमेशा तुम्हारे लिए मौजूद रहते हैं, उन्हें कभी न भूलो।”
मुख्य कहानी:
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक बड़ा, घना सेब का पेड़ था। उसकी शाखाएँ चौड़ी और पत्ते हरे-भरे थे। उसी गाँव में एक छोटा लड़का रहता था, जो हर दिन आकर उस पेड़ के साथ खेलता था।
वह पेड़ उस लड़के से बहुत प्यार करता था।
लड़का पेड़ की डालियों पर झूलता, उसकी छाया में सोता और कभी-कभी सेब खा लिया करता।
पेड़ बहुत खुश रहता था।
🍃 बचपन की दोस्ती:
एक दिन लड़के ने पेड़ से कहा,
“मैं बड़ा होकर एक साइकल खरीदूंगा और दूर-दूर तक जाऊँगा!”
पेड़ हँसते हुए बोला, “अभी तो तुम मेरे साथ खेलो, मेरे फल खाओ, मेरी शाखाओं पर झूलो। मैं बहुत खुश हूँ जब तुम मेरे साथ रहते हो।”
वक़्त गुज़रता गया। लड़का बड़ा हो गया और अब पेड़ के पास कम ही आता था।
🌿 जवानी की चाहत:
कई सालों बाद लड़का फिर लौटा। पेड़ बहुत खुश हुआ और बोला,
“आओ दोस्त! खेलो मेरे साथ!”
लड़के ने कहा, “अब मैं बच्चा नहीं हूँ। मुझे खेलना नहीं है। मुझे पैसे चाहिए, मैं शहर जाकर कुछ करना चाहता हूँ।”
पेड़ ने कहा, “मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मेरे फल ले जाओ। उन्हें बेचकर पैसे कमा लो।”
लड़के ने सारे फल तोड़ लिए और चला गया।
पेड़ खुश था… क्योंकि वह लड़के की मदद कर पाया।
🌳 मध्यम उम्र की जद्दोजहद:
कई साल बाद लड़का अब एक आदमी बन चुका था। वह फिर पेड़ के पास आया। पेड़ ने खुशी से पुकारा,
“आओ मेरे दोस्त! अब तो और भी बातें करेंगे!”
आदमी बोला, “अब मुझे परिवार के लिए घर चाहिए। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”
पेड़ ने कहा, “मेरी डालियाँ काट लो। उनसे घर बना लो।”
आदमी ने पेड़ की सारी शाखाएँ काट लीं और घर बनाने चला गया।
अब पेड़ सिर्फ एक तना रह गया… लेकिन वह फिर भी खुश था।
🍂 बुढ़ापा और अकेलापन:
लंबे अरसे बाद वह आदमी बूढ़ा हो गया और फिर पेड़ के पास आया। अब वह बहुत थका हुआ था।
पेड़ ने धीमे स्वर में कहा, “अब मेरे पास कुछ नहीं बचा… न फल, न डालियाँ, न छाया… मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सकता।”
बूढ़ा आदमी मुस्कराया और बोला,
“अब मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस कहीं बैठकर आराम करना है।”
पेड़ बोला,
“मेरे पास एक पुराना तना है… तुम चाहो तो उस पर बैठ सकते हो।”
बूढ़ा बैठ गया।
पेड़ की आँखों में आँसू थे… लेकिन उसका दिल शांति से भर गया।
🌟 नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे जीवन में जो लोग चुपचाप हमारा साथ देते हैं — माता-पिता, दादा-दादी, या पुराने दोस्त — उन्हें हम समय के साथ अक्सर भूल जाते हैं।
वे बिना किसी स्वार्थ के हमें सब कुछ देने को तैयार रहते हैं। हमें चाहिए कि हम भी उनके लिए समय निकालें, उनका सम्मान करें, और उन्हें कभी अकेला न छोड़ें।
✍️ समाप्ति:
"पेड़ की तरह देने वालों को मत भूलो, क्योंकि एक दिन जब कुछ नहीं बचेगा, वही तुम्हारे लिए खड़े मिलेंगे।"
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