एक समय की बात है, एक बड़ा शहर था जहाँ दो व्यक्ति रहते थे — राघव और मोहन।
राघव था एक बहुत अमीर व्यापारी। उसके पास बड़ी बड़ी संपत्तियाँ, आलीशान महल, और अनगिनत पैसे थे।
मोहन था एक गरीब लेकिन खुशदिल किसान, जो छोटे से गाँव में रहता था। उसके पास केवल छोटा-सा खेत और परिवार था।
🏰 अमीरी और ख़ुशी
राघव के पास सब कुछ था — लेकिन वह हमेशा बेचैन और चिंतित रहता था। उसे डर था कि कहीं उसका पैसा कम न हो जाए, और वह हमेशा ज़्यादा से ज़्यादा कमाने की कोशिश में लगा रहता।
दूसरी तरफ़, मोहन भले गरीब था, लेकिन वह अपने परिवार के साथ खुश और संतुष्ट था। वह सुबह सूरज के साथ उठता, खेत में मेहनत करता, और शाम को अपने बच्चों के साथ हँसता खेलता।
🤔 राघव की जिज्ञासा
एक दिन राघव ने सोचा,
“मोहन की ज़िंदगी में क्या राज़ है? उसके पास तो कुछ भी नहीं, फिर भी वह इतना खुश कैसे है?”
राघव ने मोहन से मिलने गाँव जाने का फैसला किया।
🌾 असली अमीरी का राज़
गाँव जाकर राघव ने मोहन से पूछा,
“तुम्हारे पास बहुत कम है, फिर भी तुम हमेशा खुश क्यों रहते हो?”
मोहन ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
“असली अमीरी पैसे में नहीं, दिल में होती है। मैं खुश हूँ क्योंकि मेरे पास मेरे परिवार के प्यार और सच्ची दोस्ती है। मुझे रोज़ मेहनत करने का सुख मिलता है और मैं जो हूँ उससे संतुष्ट हूँ।”
राघव ने महसूस किया कि उसकी चिंता, तनाव और लालच ने उसे कभी सच्चा सुख नहीं दिया।
🌟 बदलाव
उस दिन से राघव ने अपनी ज़िंदगी बदल दी। उसने सिर्फ पैसा कमाने का सपना नहीं देखा, बल्कि अपने रिश्तों को भी महत्व दिया। उसने मोहन से दोस्ती की और गाँव में रहकर खुश रहने की कला सीखी।
🎯 नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
👉 असली अमीरी पैसे में नहीं, संतोष और प्यार में होती है।
👉 धन से ज़्यादा ज़रूरी है — मन की शांति और खुशहाली।
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