एक गाँव की सीधी-सादी लड़की थी — सीमा।
उसके माँ-बाप किसान थे। मेहनती, लेकिन हालात बुरे।
एक साल बेमौसम बारिश ने सबकुछ तबाह कर दिया।
घर में खाने तक की कमी होने लगी।
सीमा के सामने दो रास्ते थे —
- हालात से हार मान ले
- या लड़ने का फैसला करे
उसने दूसरा रास्ता चुना।
🏙️ अकेली लड़की, अनजान शहर
सीमा शहर आई — नौकरी की तलाश में।
न कोई जान-पहचान, न कोई अनुभव।
कई जगह इंटरव्यू दिए।
कई जगहों से सिर्फ़ ताने मिले:
तुम्हारे जैसे गाँव वालों के बस की बात नहीं...
जाओ, झाड़ू-पोंछा करो!
उसका दिल टूटता, मगर हौसला नहीं।
🍵 छोटे काम, बड़ी सोच
वो चाय की दुकान पर काम करने लगी।
सुबह-सुबह दुकान साफ करती, दोपहर में चाय बनाती।
लेकिन उसके अंदर कुछ था —
ईमानदारी, धैर्य और सीखने की भूख।
वही दुकान पर एक दिन एक बड़ा उद्योगपति आया।
सीमा ने उसे चाय दी, और जाते-जाते कहा:
अगर कभी आपकी कंपनी में झाड़ू लगाने का भी काम हो, तो बताइएगा।
उसने मुस्कुरा कर कहा:
झाड़ू नहीं, मैं तुम्हें कंप्यूटर सिखाऊँगा।
💼 सीमा की उड़ान
उस आदमी ने उसे ट्रेनिंग दी, और अपनी कंपनी में नौकरी भी।
सीमा ने दिन-रात एक कर दिया।
कुछ सालों में वह एक छोटी कर्मचारी से कंपनी की मैनेजर बन गई।
आज वह अपनी कमाई से गाँव में स्कूल चला रही है, ताकि
कोई और सीमा सिर्फ़ गरीबी की वजह से अपने सपने न छोड़े।
🎯 सीख क्या है?
हालात कितने भी खराब हों, अगर इरादे पक्के हों — तो रास्ता मिल ही जाता है।
जो आज चाय बना रही है, वो कल फैसला लेने वाली बन सकती है।
कभी किसी को छोटा मत समझो — कोई भी किसी भी दिन चमक सकता है।
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