एक छोटे से गाँव में रवि नाम का एक किसान रहता था। एक दिन, खेत में हल चलाते हुए उसे एक सुनहरा बीज मिला। रवि सोचने लगा,
"यह कोई जादुई बीज होगा, जिससे मैं अमीर बन जाऊंगा!"
उसने वह बीज अपने खेत में लगाया और हर दिन पानी देता रहा। लेकिन कई दिनों तक कोई पौधा नहीं निकला। निराश होकर उसने बीज को ज़मीन में और गहरा दफनाने की कोशिश की, फिर भी कोई असर नहीं हुआ।
तभी वहाँ से एक बुजुर्ग यात्री गुज़र रहा था। उसने रवि से पूछा,
"तुम इतना धैर्य क्यों नहीं रख पाते? सफलता समय लेती है।"
रवि ने कहा,
"मैंने सोचा था कि यह बीज जल्दी बढ़ेगा।"
यात्री ने समझाया,
"सफलता बीज में नहीं, मेहनत और धैर्य में है। असली खजाना तुम्हारी लगन है।"
रवि ने यह बात समझ ली और अपने काम में और मेहनत और धैर्य लगाने लगा। धीरे-धीरे उसका खेत हरा-भरा हो गया।
इस कहानी से क्या सीखें? (Moral of the Story)
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धैर्य (Patience) और मेहनत (Hard Work) ही सफलता की कुंजी हैं।
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जल्दबाजी में सफलता नहीं मिलती।
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असली 'सोना' मेहनत और लगन से मिलता है।
नैतिक कहानियाँ क्यों पढ़ें?
नैतिक कहानियाँ हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। ये कहानियाँ बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत होती हैं। इससे हमें सही और गलत में फर्क समझ में आता है और जीवन में सही दिशा मिलती है।
निष्कर्ष
अगर आप भी जीवन में सफलता चाहते हैं तो धैर्य और मेहनत को कभी न छोड़ें। याद रखें, कोई भी बड़ा परिणाम रातों-रात नहीं मिलता, बल्कि निरंतर प्रयास से ही संभव होता है।
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